Jai Prakash Srivastav "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 3 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Jai Prakash Srivastav 5 May 2024 · 1 min read कलयुग का प्रहार मद में डूबा है संसार। मचा है चंहुदिश हाहाकार। मानवता व नैतिकता पर, हुआ भंयकर कलि प्रहार। छूट रहा है घर परिवार, टूट रहा साझा परिवार, स्वार्थ में जग डूबा,... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 77 Share Jai Prakash Srivastav 5 May 2024 · 1 min read ब्यथा हे राही तू ढूंढ रहा क्या ?क्या भूल गया तू राह ? या नहीं रही अब तेरी आगे चलने की चाह। तू है कौन मुसाफिर कौन देश का वासी ?... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 60 Share Jai Prakash Srivastav 5 May 2024 · 1 min read चिंगारी गहन तिमिर में, झिलमिलाती वह नंही चिनगारी, बहुत कठिन है इसे समझना, येसंकेत हैभीषण जवाला की या किसी झोपड़ी काआशादीप । सृष्टि बनी जादूगर की झोली मानव ने पहना चेहरे... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 59 Share