Rajesh Kumar Kaurav "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 9 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Rajesh Kumar Kaurav 5 May 2024 · 1 min read संवेदना बदल गई संवेदना बदल गई नये रूप में हो गई दुःख दर्द के फोटो मोबाइल से खीचते । सहयोग करना दूर फोटो अब मशहूर भेज भेज ग्रुपो पर वाह वाही ही लूटते।... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · हास्य-व्यंग्य 2 73 Share Rajesh Kumar Kaurav 4 May 2024 · 1 min read परिस्थितियाँ कभी कभी परिस्थितियाँ मानव को बहुत भारी संकट में डाल देती है ।विषम परिस्थितियों में आदमी अपने को असहाय पाता है ।उसका आत्मबल क्षीण होने लगता है । तब धैर्य... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · लेख 54 Share Rajesh Kumar Kaurav 4 May 2024 · 1 min read चाणक्य सूत्र मनहरण घनाक्षरी सहयोग करें सभी पात्र पहचान तभी कभी कभी नकलची मुश्किल में डालते। चाणक्य की मानकर मूर्ख लोग त्यागकर चरित्र हीन छोड़ दो भावना न जानते । तीजे लोग... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 66 Share Rajesh Kumar Kaurav 4 May 2024 · 1 min read संवेदना हीन/वर्ण पिरामिड क्यों मन शून्यता हृदय के भाव गायब सेवा- सहयोग संवेदनशीलता । है युग प्रभाव मानवता स्वार्थ लोलुप संवेदना खत्म शैतानियत जहाँ। ये दुष्ट इंसान मालामाल बुरे विचार संवेदना हीन प्रसिद्धि... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 60 Share Rajesh Kumar Kaurav 3 May 2024 · 1 min read संवेदी हृदय भाव संवेदना,सबके रहती पास। करें उपेक्षित जो इसे,जिंदा समझो लाश।। कभी कभी संवेदना,मन में होती क्षीण । दुष्टी पापी भाव में, जिनका हृदय प्रवीण ।। महा भारत युद्ध कथा,कौन... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · दोहा 63 Share Rajesh Kumar Kaurav 3 May 2024 · 1 min read संवेदना मंत्र यह शरीर संवेदन शीला। भाव ग्रहण से नीला पीला।। कटु वाणी से उपजे क्रोधा। प्रेम स्नेह ज्यों मनहि प्रबोधा ।। त्वचा स्पर्श जरा कहीं होई। ज्ञान तन्त्र जाने सब कोई... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 88 Share Rajesh Kumar Kaurav 3 May 2024 · 1 min read संवेदनशीलता सब जीवों में स्वाभाविक है वृति संवेदना की। अपनत्व से संवेदनशीलता पनपती है । संवेदना से परोपकारी भाव मानवता है । दुखी को देख सेवा व सहयोग संवेदना है। संवेदना... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · हाइकु 1 1 91 Share Rajesh Kumar Kaurav 29 Apr 2024 · 1 min read मन में भूल गया संवेदना, स्वार्थ भरा व्यवहार । तर्क शील मानव हुआ, अपने तक परिवार।। पति पत्नी संतान हित,जिते कुछ इंसान। सिमट गई संवेदना,हृदय बसा अभिमान।। मान प्रतिष्ठा के लिए,करता खोटे... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · दोहा 2 71 Share Rajesh Kumar Kaurav 28 Apr 2024 · 1 min read संवेदना संवेदना खत्म हो गई अब युग प्रभाव । दूजे के कष्ट तस्वीरों में खीचते बना चलन । भूखे के लिए दे नहीं पाते रोटी व्यस्त समय। सडकों पर कराहते घायल... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · हाइकु 1 81 Share