डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह 3 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 24 May 2022 · 1 min read पिता का सपना अपने बच्चों में मैं अपना भविष्य सजाता हूंँ, अपने अधूरे सपने पूरे करने की आस संजोता हूंँ, एक चमकदार पत्थर को कोहिनूर की तरह तराशता हूंँ, उनका बढ़ना, पढ़ना, खेलना,... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 14 18 528 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 12 May 2022 · 1 min read बाबूजी! आती याद बाबूजी! आपके जाने के बाद आती याद, वो बचपन की बातें सुबह जब जगाते, पहले देह दबाते, बालों में उँगलियाँ फिराते फिर धीरे से जगाते। आती याद, होता साथ-साथ; खाना-पीना-सोना,... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 12 20 904 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 29 Apr 2022 · 1 min read पिता का पता पिता का पता कौन बताए, कब सोते कब जग जाते हैं, अथक; काम में लग जाते हैं, कब पीते कब खाते खाना कौन बताए, बच्चों का बढ़ना, पढ़ना-लिखना, लिए आंखों... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 16 24 1k Share