सिद्धार्थ गोरखपुरी “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid सिद्धार्थ गोरखपुरी 3 Jun 2022 · 1 min read पिता ऐसा अचूक प्रमेय है पद पिता का संभ्रांत है पर प्रेम सदा ही ध्येय है अनसुलझे सवालों का हल है ये पिता ऐसा अचूक प्रमेय है त्याग व तप का प्रमाण है जिसका त्याग... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 5 7 254 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 2 Jun 2022 · 1 min read पिता गलतफहमी है के अलाव सा है पिता घना वृक्ष है पीपल की छाँव सा है पिता लहजा थोड़ा अलग होता है माना पर प्रेम अंतस में लबालब भरा है अपने... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 7 11 488 Share