.✍️वो थे इसीलिये हम है...✍️
✍️वो थे इसीलिये हम है...✍️ ---------------------------------------------------- // पिता..! हमारे जीवन सृष्टि के है शिल्पकार... वो है जनक हम उनका अविष्कार... बिना उनके कैसे मिलता व्यक्तित्त्व को नया आकार... संसाररूपी कश्ती...
“पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · मुक्तक