कुछ ख़त मोहब्बत के , दोहा गीत व दोहे
१-#दोहा_गीत चन्द्रबदन मृगलोचनी, चपला रूप अनूप |(मुखड़ा) सुरभित गुंजन कंठ है , लगे गुनगुनी धूप ||(टेक) पग पायल है नाचती , निकसत है झंकार |(अंतरा) कटि करधोनी खिल रही, लगती...
"कुछ खत मोहब्बत के" - काव्य प्रतियोगिता · कविता