Manjul Manocha "कुछ खत मोहब्बत के" - काव्य प्रतियोगिता 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Manjul Manocha 7 Feb 2021 · 1 min read ज़ंज़ीर सी निगाहें मुज़रिम सा कैद कर लेतीं हैं मुझको ये तेरी ज़ंज़ीर सी निगांहें खामोश तो बस लब हैं तेरे इलज़ाम-ए-दीदार की सज़ा सुनाती हैं निगांहें गुनाह ये फिर भी बदस्तूर मैंने... "कुछ खत मोहब्बत के" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 46 435 Share