ज़ैद बलियावी "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid ज़ैद बलियावी 11 Jan 2021 · 1 min read "कोरोना" यही अंजुमन और यही शजर सा लगता है.. अब अपना आशियाना बे-घर सा लगता है.. वक्त ने डुबोया है ऐसी महामारी में हमें.. कि अब इंसान को इंसान से डर... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 10 18 685 Share