जीवन धारा
सत्य किशोर "सत्य"
जीवनधारा संग्रह में जिंदगी "मैं जिंदगी हूं" कहते हुए स्वयं को परिभाषित करते हुए महाप्रपात, महासागर, भूख, छलों का पाठ्यक्रम, एक आँसू, एक हंसी, लंबा रास्ता जैसे संबोधन स्वयं को देते हुए बहती जाती है और पाठकों को अपनी भावधारा...