हर लेखक की चाह होती है उसकी पुस्तक को पाठक गण पसंद करें ऐसा ही मेरा भाव भी है, लेकिन पाठक के मन को छु पाऊँ ऐसा भाव उस से... Read more
हर लेखक की चाह होती है उसकी पुस्तक को पाठक गण पसंद करें ऐसा ही मेरा भाव भी है, लेकिन पाठक के मन को छु पाऊँ ऐसा भाव उस से पहले है। मेरी प्रस्तुत पुस्तक “मोनालिसा/Monalisa” पेंटिंग जैसी ही खूब सूरत है यही सोच कर मैंने इसका नाम मोनालिसा चुना। ये नाम कविताएँ लिखते समय नहीं था मेरे मन में लेकिन अचानक से मेरे मन में ये उभर के आया जब प्रकाशक ने मुझे अपनी पुस्तक के बारे में संक्षिप्त रूप से कुछ लिखने को कहा। उन्होंने ये भी कहा एक अच्छे वर्णन से पाठकों के मन में पुस्तक की अच्छी छवि बनती है – और बात भी सही है तो पेश है *मोनालिसा* इसी आशा के साथ प्रिय पाठकों आपके समक्ष।
आपका पसंदीदा लेखक
डॉ अरुण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक – अरुण अतृप्त