मन की लहरें समाज और प्रकृति में बहुत सारे विषय है, बहुत सारी चीज़ें हैं, बातें हैं जिन्की "लहरें" हर किसी के मन में उठतीं रहतीं हैं। मेरे मन में... Read more
मन की लहरें
समाज और प्रकृति में बहुत सारे विषय है, बहुत सारी चीज़ें हैं, बातें हैं जिन्की “लहरें” हर किसी के मन में उठतीं रहतीं हैं। मेरे मन में भी बहुत सारी लहरें उठती रहती हैं और उन्हीं लहरों को अलग अलग विविध विषयों पर आधारित हिंदी कविताओं का एक लघु काव्य संकलन बनाने की कोशिश की है।
प्रस्तुत संग्रह ऐसा है मानो जैसे मेरे नेत्रों में मौन की परिभाषाएं प्रकाशित हो रही हो। मुझे लगा कुछ खट्टे कुछ मीठे लहरों का सराबोर करना चाहिए। जानता हूं ये इतना सरल नहीं है, पर मेरा मौन गहराता गया, मौन की परिभाषा गढ़ती गई और बारी-बारी कविताएं रचतीं गई। और मैंने जीवन के कुछ पहलुओं को स्याही से लिखने की कोशिश करके यह संग्रह रचाया।
इस संग्रह में सम्मिलित रचनाएं जीवन के विविध पहलुओं को बड़ी सरलता से व्यक्त करती है। जिसमें प्रकृति, देशभक्ती, धार्मिक भावना, प्रेरणा, प्रेम, विरह, व्यक्तिगत भावना, पारिवारिक एवम सामाजिक जीवन की विषमताओं को व्यक्त करती है। इन रचनाओं में एक तरफ दैनिक जीवन के संघर्षों का चित्रण किया गया है, वही इन समस्याओं से लढ़कर सकारात्मक विजय प्राप्त करने की प्रेरणा भी है।
अंत में यही कहना चाहूंगा की “मन की लहरें” काव्य संग्रह नवयुवकों के और सभी पाठकों के विचारों में नई उर्जा का संचार करने का प्रयास है।
कृष्णा वाघमारे, जालना, महाराष्ट्र