सृष्टि से निरंतर बहता हुआ संगीत, हृदय की गहराइयों से निरंतर गुंजित होता हुआ अनहद नाद जो हर कोई अपने अंतस में सुन तो पाता है पर किसी से, किसी... Read more
सृष्टि से निरंतर बहता हुआ संगीत, हृदय की गहराइयों से निरंतर गुंजित होता हुआ अनहद नाद जो हर कोई अपने अंतस में सुन तो पाता है पर किसी से, किसी अपने तक से भी कह नहीं पाता…उसी अनुभूति से जब भी जैसा लगा तो उसी के मध्य विभिन्न विषयों पर सृजित हुई ये कविताएँ पाठकों को आकर्षित करेंगी…ऐसा मेरा विश्वास है।