“अंगजा”– बेटियों को समर्पित एक भावांजलि
“अंगजा” उन सभी बेटियों को समर्पित है जो प्रकृति का सौंदर्य हैं, जो समाज के शुष्क हृदय को अपने स्नेह और संवेदनाओं से सींचती हैं। वे वह निर्मल निर्झरणी हैं, जिनकी उपस्थिति से परिवार, समाज और संपूर्ण मानवता पल्लवित एवं पुष्पित होती है।
एक बेटी होने के नाते और दो बेटियों की माँ होने के नाते, मैंने इस पुस्तक के माध्यम से बेटियों के सौंदर्य, उनकी भावनाओं, उनके संघर्षों और उनके अधिकारों को काव्य रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। बेटियाँ केवल परिवार की शोभा ही नहीं, बल्कि समाज की गरिमा और राष्ट्र की शक्ति भी हैं। वे प्रेम, सहानुभूति, और संघर्ष की जीवंत प्रतिमूर्ति हैं, जो हर बाधा को पार कर अपने सपनों को साकार करने की क्षमता रखती हैं।
“अंगजा”के माध्यम से मेरा संदेश है कि बेटियाँ अपने अस्तित्व को संपूर्ण आत्मविश्वास के साथ स्वीकार करें, अपने अधिकारों के लिए खड़ी हों, अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त करें और अपने सपनों को पूर्ण करने के लिए निडर होकर आगे बढ़ें। साथ ही, यह समाज के प्रति भी एक आह्वान है कि वह अपनी सोच बदले, बेटियों को सम्मान और समान अवसर दे, और उनके सपनों को संजोने में उनकी शक्ति बने।
बेटियाँ हैं तो सृष्टि है, बेटियाँ हैं तो भविष्य है। “अंगजा” सभी बेटियों को समर्पित मेरी हृदय से निकली एक भावांजलि है।
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