साहित्य पीडिया के आयोजित स्पर्धा से न केवल हमारी लेखनी को प्रोत्साहन मिला अपितु आप सभी साहित्य मनस्वीयो के मध्य अपनी भावनाएं संप्रेषित करने का सुअवसर मिला। कईपत्रपत्रिकाओं, अखबार, महानदी... Read more
साहित्य पीडिया के आयोजित स्पर्धा से न केवल हमारी लेखनी को प्रोत्साहन मिला अपितु आप सभी साहित्य मनस्वीयो के मध्य अपनी भावनाएं संप्रेषित करने का सुअवसर मिला।
कईपत्रपत्रिकाओं, अखबार,
महानदी की धारा मासिकपत्रिका में औरकई राष्ट्रीय साझा काव्य संकलनके बाद ” मेरा प्रथम एकल संग्रह है” *आश्रांजलि* ” अर्थात *अश्रु की दिव्य भेंट* के माध्यम से अंतर्मन की अनकही पीड़ा को लेखिका ने शब्दो (स या ली छंद, सोरठा, मुक्तक विधा में) से अभिव्यक्त करने प्रयास किया जिससे ….लोग उन सभी.. अपनी मौन पीड़ा को पढ़कर महसूस कर सके, अपनी चुभन को और उसे सुकून में तब्दील होते हुए देखना (अन्य से साम्य स्थापित होने पर अकसर स्वयं की पीड़ा कम लगती) .क्योंकि खुशी अहमियत तब होती है जब वो दुख के बाद मिली हो।
मेरी अस्तित्व के कलम में मिलेंगे तुम्हे कई चमकते रंग, कुछ
फीके कुछ सुर्ख जख्म के रंग……
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