हम सब के हृदय में पलती, पनपती, पल्लवित और पोषित होती हैं संवेदनाएँ, आकांक्षाएँ, दुर्बलताएँ और सम्भावनाएँ ये जब शब्दों में ढल कर काव्यात्मक रूप लेती हैं तो प्रारूपित होता... Read more
हम सब के हृदय में पलती, पनपती, पल्लवित और पोषित होती हैं संवेदनाएँ, आकांक्षाएँ, दुर्बलताएँ और सम्भावनाएँ
ये जब शब्दों में ढल कर काव्यात्मक रूप लेती हैं
तो प्रारूपित होता है एक काव्य संग्रह ”मेरे हिस्से की धूप”
जिसमें आप स्वयं को महसूस करेगें और हृदय के बेहद क़रीब पाएंगे।
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