“पं बृजेश कुमार नायक की चुनिंदा रचनाएं” एक श्रेष्ठ कृति है। “प्रकृति” सहित कई अन्य विषयों पर लिखी गईं श्रेष्ठ रचनाएं कवि “पं बृजेश कुमार नायक” की इस कृति में पढ़ीं जा सकतीं हैं। आगे देखिए/पढ़िए इस कृति (“पं बृजेश कुमार नायक की चुनिंदा रचनाएं” के प्रथम संस्करण)की एक सुंदर रचना,जिसमें कवि की पीड़ा ,गरीबों के आॉंसुओ का दिग्दर्शन कराती हुई ,पाठकों के दिल तक पहुॅंच रही है।…..
बाल-श्रम करते दिखे हैं,कई तन मजबूर बन।
हिंद का दिल रो रहा है,हॅंस रहे हम शूर बन।
नग्न -भूखी बाल काया, कह रही है दर्द को।
हिंद कब तक ढोएगा, दुख -बेबसी की गर्द को।
गरीबों की झोपड़ी,बेमोल अब भी बिक रही।
कहूॅं कैसे हिंद-चोटी गगनचुंबी दिख रही।
देख कर दिल्ली न बोलो, विश्व का हम मान हैं।
निर्धनों की झोपड़ी में, सुप्त हिंदुस्तान है।
उक्त पंक्तियाॅं “काव्य संग्रह” के रूप में प्रकाशित इस कृति के द्वितीय संस्करण में भी पढ़ीं जा सकतीं हैं। “पं बृजेश कुमार नायक की चुनिंदा रचनाएं” कृति का द्वितीय संस्करण “काव्य संग्रह” के रूप में वर्ष 2021 में , साहित्यिपीडिया पब्लिशिंग ,नोएडा , भारतवर्ष से नया कवर और नया आई एस बी एन के साथ प्रकाशित है और साहित्यिपीडिया सहित अमेज़न- फ्लिपकार्ट पर भी उपलब्ध है।
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