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1 Dec 2021 · 2 min read

रानी कुँअर जी की कहानी (कजरी)

विषय :- गाथा लोक गीत के अन्तर्गत रानी कुँअर की जीवन गाथा
लोकभाषा/बोली :- ठेठ भोजपुरी (खड़ी बोली)
#भूमिका:- प्रदत्त रचना में मैं पश्चिमी चम्पारण में बोली जाने वाली ठेठ भोजपुरी के माध्यम से लौरिया प्रखंड क्षेत्र के साठी स्थित धमौरा गाँव निवासी रानी कुँअर का जिन्होने अपने पति जगतनारायाण झा के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद किया था।
हालांकि, जगतनारायण झा तो अब इस दुनिया में नहीं रहें लेकिन उनकी पत्नी रानी कुँअर आज भी जिंदा हैं और लगभग सौ साल की उम्र में भी आजादी के दिनों की बाते उनके जेहन में आज भी जिंदा हैं रानी कुँवर नम आँखों से आज़ादी के दिनों की बाते कहकर गोरों के खिलाफ बगावत की दास्तान बताते आज भी कांप उठती हैं तो वहीं अंग्रेज़ों की पीड़ा और जख़्म के दास्तां भी नई पीढ़ी के बच्चों को सुनाती हैं।

#रचना
——————————————————
अरे रामा रानी कुँअर के जुबानी, सुनलऽ ई कहानी ये रामा।

ग्राम धमौरा हऽ जिला चम्पारन।
आज भइल बाड़ी देखि बहारन।
कि अरे रामा रहली अजादी दिवानी…
सुनल ई कहानी ये रामा…..।।

देवनरायन के ई तऽ मेहरिया।
पति सङ्गें चलें भरऽ दुपहरिया।

कि अरे रामा कइली फिरंगीन के हानी..
सुनल ई कहानी ये रामा….।।

गाँधी संङ्गे सत्याग्रह ई कइली।
पति गवाई मुसमात ई भईली।

कि अरे रामा अँखियाँ से गीरल न पानी…।
सुनल ई कहानी ये रामा….।।

भितिहरवा से पैदल ई चलली।
मोतिहारी ले घामऽ मे जरली।
कि अरे रामा चलली कठिन राह जानी..
सुनल ई कहानी ये रामा…।।

(पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’)
========================
#शब्दार्थ :- जबानी- उनके ही द्वारा, चम्पारन- चम्पारण, भइल- हो गई, बहारन- नजरंदाज, मेहरिया- पत्नी, कइली- किया, जरली- जलना, घाम- धूप
========================
मैं {पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’} ईश्वर को साक्षी मानकर यह घोषणा करता हूँ की मेरे द्वारा प्रेषित उपरोक्त रचना मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित और अप्रेषित है।

Language: Bhojpuri
Tag: गीत
1 Like · 557 Views
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