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21 Aug 2021 · 1 min read

मुस्कुरा के चलीं

जब चलीं माथ आपन उठा के चलीं
बाटे संकट भले मुस्कुरा के चलीं

साँच के साथ दीहल जरूरी हवे
झूठ के दौर बा मत चुपा के चलीं

हो सकेला सभे साथ ना दे भले
जे मिले सबके आपन बना के चलीं

का पता राह में के मिले कब कहाँ
जब चलीं रूप आपन सजा के चलीं

गर उदासी रही तऽ हँसी ई जहाँ
दर्द दिल के हमेशा छुपा के चलीं

ना कइल बतकही लोग छोड़ी कबो
बात कवनो न दिल से लगा के चलीं

काँट ‘आकाश’ हर ओर बाटे भले
खुद बढ़ीं सबके हिम्मत बढ़ा के चलीं

– आकाश महेशपुरी
दिनांक- १८/०८/२०२१

7 Likes · 5 Comments · 1055 Views
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