Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Sep 2021 · 2 min read

**भसुर**

******
बर-कनिया के आशीष देके जब मीरा आ महेश मंच से उतरल लोग त मीरा माथ ढँपले घर में चलि गइली कि तबे एकजने बराती आ के महेश से कहलें-“हम राउरी मलिकाइन से मिले के चाहत रहनी हँ। उहाँ के नाँवँ मीरा ह का?”महेश पुछलें-“का बाति बा।काहें मिलल चाहत बानीं?कइसे जानत बानी रउवा?”बाराती कहलें -“हम एगो शिक्षक हयीं।उहाँ के हमार फेसबुक मित्र बानीं,एसे।” “अच्छा..!ई बात बा..चली अबे मिला देत बानीं”-महेश मूड़ी हिलावत कहलें।
अब बोला के भीतरी ले गइलें आ.मीरा के हाँक लगवलें-मीरा!हेने आव$..तहसे केहू मिलल चाहत बा।”मीरा हाँक सुनते झड़कल अइली-“के ह?”सम्हने अनजान आदमी के देखि के सकुचइली-का ह?के हयीं इहाँ के?”एतने में बाराती हाथ जोरि के खड़ा हो गइलें-हमार नाँवँ त्रिभुवन ह।” “त्रि-भू-व-न…कहाँ के त्रिभुवन?हमरा मन नइखे परत” ;मीरा कहली।”हम राउर फेसबुक मित्र बानीं।मंच पर देखते चीन्हि गइनीं हँ कि रउवे कवयित्री मीरा हयीं।एसे मिले के जरूरी समझनी हँ।” “ओहो..त्रिभुवन जी **शिक्षक**-अब चिन्हा गइनीं।अउर बतायीं इहाँ कइसे?” “बराते आइल बानी”-त्रिभुवन कहलें। अब त दोहरउनी नाश्ता मिलल। ढे़रे बाति लिखाई-पढ़ाई के भइल।
ओने बादर अब बरिसे की तब बरिसे।सब कार जल्दी -जल्दी निपटावल जात रहे।
बतियावत-बतियावत त्रिभुवन कहलें कि राउर रचना हमरा बहुत पसन्न परेला।बहुत बढ़ियाँ रउवा लिखेनीं।बाकिर सब रचना फेसबुक पर भेज दिहला से का मिलेला? फलाने-फलाने त आपन रचना जोगावेला लोग।आ मंच पर चढि के भँजावेला लोग।
मीरा हँसली-“हम आपन रचना फेसबुक पर ना भेजतीं त… रउरी जइसन पाठक पढतें कइसे? आ मिलतें कइसे? अब रहल बात जोगावे वाला लोगन के… त ओ लोग खातिर बकियवा रउवा कहिए दिहनीं।भँजावल हमार धेय नाहीं हँ।”कि एतने में केहू आके कहल-“तहनी के एइजा बाड़ जा ओने गुरहथन रूकल बा।” “काहें”-मीरा पुछली।”भसुरे नइखें मिलत।आकि अइलहीं नइखें।सब लोग परसान बा।बरतिया कहत बाड़ें कि सथवे अउवें।एइजा खोजाता त हइए नइखें।कहीं अपहरण त ना होगइलें बीचही में..बरखा बा कि झिंसियाता”-जबाब मिलल।
एतना सुनते त्रिभुवन चिहाके उठलें-“अरे बाप रे..अब हम जात बानी।”मीरा पुछली-“काहें”?”जल्दी-जल्दी डेग बढ़ावत त्रिभुवन कहलें -“हमही नूँ भसुर हईं।”
माड़ो में भसुर के दउरत पहुँचल देखि सबके हँसला के धरानि ना रहे।

**माया शर्मा,पंचदेवरी,गोपालगंज(बिहार)**

Language: Bhojpuri
1 Like · 2 Comments · 308 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
खुशियाँ
खुशियाँ
विजय कुमार अग्रवाल
💐प्रेम कौतुक-338💐
💐प्रेम कौतुक-338💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
आहाँ अपन किछु कहैत रहू ,आहाँ अपन किछु लिखइत रहू !
आहाँ अपन किछु कहैत रहू ,आहाँ अपन किछु लिखइत रहू !
DrLakshman Jha Parimal
"औषधि"
Dr. Kishan tandon kranti
जितने चंचल है कान्हा
जितने चंचल है कान्हा
Harminder Kaur
फकत है तमन्ना इतनी।
फकत है तमन्ना इतनी।
Taj Mohammad
वो ख्वाब
वो ख्वाब
Mahender Singh
विश्व कप लाना फिर एक बार, अग्रिम तुम्हें बधाई है
विश्व कप लाना फिर एक बार, अग्रिम तुम्हें बधाई है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
बदली - बदली हवा और ये जहाँ बदला
बदली - बदली हवा और ये जहाँ बदला
सिद्धार्थ गोरखपुरी
राष्ट्रीय गणित दिवस
राष्ट्रीय गणित दिवस
Tushar Jagawat
তোমার চরণে ঠাঁই দাও আমায় আলতা করে
তোমার চরণে ঠাঁই দাও আমায় আলতা করে
Arghyadeep Chakraborty
तुझे भूलना इतना आसां नही है
तुझे भूलना इतना आसां नही है
Bhupendra Rawat
तू ठहर चांद हम आते हैं
तू ठहर चांद हम आते हैं
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
రామ భజే శ్రీ కృష్ణ భజే
రామ భజే శ్రీ కృష్ణ భజే
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
8. टूटा आईना
8. टूटा आईना
Rajeev Dutta
रोज डे पर रोज देकर बदले में रोज लेता है,
रोज डे पर रोज देकर बदले में रोज लेता है,
डी. के. निवातिया
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Jitendra Kumar Noor
Doob bhi jaye to kya gam hai,
Doob bhi jaye to kya gam hai,
Sakshi Tripathi
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सकारात्मकता
सकारात्मकता
Sangeeta Beniwal
हम
हम "फलाने" को
*Author प्रणय प्रभात*
24, *ईक्सवी- सदी*
24, *ईक्सवी- सदी*
Dr Shweta sood
नेता हुए श्रीराम
नेता हुए श्रीराम
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
श्रीराम गाथा
श्रीराम गाथा
मनोज कर्ण
ज़िंदगी एक पहेली...
ज़िंदगी एक पहेली...
Srishty Bansal
भ्रात प्रेम का रूप है,
भ्रात प्रेम का रूप है,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
हम भी देखेंगे ज़माने में सितम कितना है ।
हम भी देखेंगे ज़माने में सितम कितना है ।
Phool gufran
नौकरी वाली बीबी
नौकरी वाली बीबी
Rajni kapoor
चाय - दोस्ती
चाय - दोस्ती
Kanchan Khanna
हाँ, कल तक तू मेरा सपना थी
हाँ, कल तक तू मेरा सपना थी
gurudeenverma198
Loading...