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19 Nov 2021 · 1 min read

बेटी के दुर्भागि

कुण्डलिया–

कहीं जहर के घूँट बा, कहीं धरावल आगि।
फँसरी पर झूलल कहीं, बेटी के दुर्भागि।
बेटी के दुर्भागि,बाप के पगरी नीचा।
पढल लिखल बेकार,लगल मन घींचम-घींचा।
अइसन क्रूर समाज,जनक बा आज कहर के।
सपना प्यार दुलार,पिए ऊ कहीं जहर के।

**माया शर्मा**

Language: Bhojpuri
Tag: छंद
386 Views
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