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22 May 2016 · 1 min read

कुछ दोहे (माँ)

प्यार लिखा हर पृष्ठ पर ,माँ वो खुली किताब
माँ के आँचल की महक, जैसे खिला गुलाब

माँ तो ममता का कभी ,रखती नहीं हिसाब
बेटा हो सकता बुरा ,माँ पर नहीं ख़राब

जब सब सुन्दर लिख रहे,मातृदिवस के नाम
वृद्धाश्रम का फिर यहाँ , बोलो क्या कुछ काम

माँ की जीते जी नही, करते सेवा कर्म
खूब निभाते वो मगर ,मरने पर सब धर्म

साधारण होती नहीं , माँ तो है भगवान
पावन गीता ग्रन्थ है , ये ही पाक कुरान
डॉ अर्चना गुप्ता

Language: Hindi
3 Comments · 984 Views
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