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9 Mar 2022 · 2 min read

Aao kabhi milaun mujhse tumhein main

Hairaan hoon ki badalti nahi ye fitrat meri
Aadat si ho gayi hai sochte rahne ki meri
Naseh bane firte hain yahan log
Magar kahan milti hai in ke paas charasaji meri
हैरान हूं कि बदलती नहीं ये फितरत मेरी
आदत सी हो गई है सोचते रहने की मेरी
नासेह बने फिरते हैं यहां लोग
मगर कहां मिलती है इनके पास चारासाजी मेरी
Ehtiyat bahut rakhta hoon ulfat mein main
Magar khamiyan nikal he jati hai bandagi mein meri
Mutakallim to khoob bante hain log
Hairat mein pad jaye jo sune kabhi fariyad meri
एहतियात बहुत रखता हूं उल्फत में मैं
मगर खामियां निकल ही जाती है बंदगी में मेरी
मुताकल्लिम तो खूब बनते हैं लोग
हैरत में पड़ जाए जो सुने कभी फ़रियाद मेरी
Aayi hai mujhmein ilm e bashirat ab
Aawo kabhi sunata hoon gairat ki kahani meri
Alhada kar jate mujhe sab aagosh mein lekar
Kahan ahmiyat dete hain bekhudi ko meri
आई है मुझमें इल्म ए बशीरत अब
आओ कभी सुनाता हूं गैरत कि कहानी मेरी
अलहदा कर जाते मुझे सब आगोश में ले कर
कहां अहमियत देते हैं बेखुदी को मेरी
Kahte ho mujhko ikhtiyar nahi hai keher par
Lajim hai ki tum bhi samjho lab o lahza meri
Fakat tum he nahi ho junaid jise mayassar nahi rafik
Yun na kaho ke koi humdam nahi sab hain hareef meri
कहते हो मुझको इख़्तियार नहीं है केहर पर
लाज़िम है कि तुम भी समझो लब व लहज़ा मेरी
फकत तुम ही नहीं हो “जुनैद” जिसे मयस्सर नहीं रफीक
यूं ना कहो के कोई हमदम नहीं सब हैं हरी़फ मेरी

Language: Urdu
Tag: نظم
1 Like · 232 Views
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