=_= असत् पर सत् की विजय =_=
दंभ आडम्बर छल प्रपंच का परिचायक था रावण।
सत्य पौरुष मर्यादा व संयम के प्रतीक थे राम।
असत्य पर सत्य की जय है विजयादशमी,
बुराई पर अच्छाई की जीत है दशहरा।
श्री राम ने वध किया असत रूपी रावण का,
तभी उदित हुआ एक रामराज्य सुनहरा।
जलाते हैं हम उस दशानन के साथ साथ,
दसों दिशाओं की बुरी हवाएं बुरी बलाएं।
घमण्ड,अहंकार,दंभ,मद,क्रोध और गरूर,
क्षण मात्र में ही सब, हो जाते हैं चूर चूर।
जब सत्य संग पुरुषार्थ, आ खड़ा होता है सामने,
तब असत्य व बुराई लगती है बगलें झांकने।
जब जब सिर उठाती है दुष्टों की पराकाष्ठा,
तब तब उस पर भारी पड़ती है मानवता की आस्था।
यही सीख देता है हमें हर बार यह त्यौहार,
इसीलिये हम करते हैं रावण रूपी राक्षस का
दहन बार बार।
—रंजना माथुर दिनांक 20/09/2017
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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