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9 Nov 2022 · 1 min read

_नोटबंदी के समय लिखा गया एक गीत_

_नोटबंदी के समय लिखा गया एक गीत_
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*सौ रुपए का नोट (गीत)*
■■■■■■■■■■■■■
सौ रूपए का नोट सब जगह देखो है इतराता

(1)

कभी पाँच सौ के हजार के आगे भरता पानी
आज चल रही है बाजारों में इसकी मनमानी
जिसके पास नोट सौ रूपए का वह पैसेवाला
लगा पाँच सौ के नोटों के मुँह पर जैसे ताला
कल तक जिसको घोर उपेक्षा से था देखा जाता
सौ रूपए का नोट सब जगह देखो है इतराता

(2)

एक रात में बादशाह से देखो बने भिकारी
बड़े-बड़े नोटों की फूटी किस्मत बाजी हारी
कल तक इनसे होटल-शॉपिंग-मॉल चमकते पाते
जेबों में यह जिनके थे वह ही राजा कहलाते
नोट पाँच सौ का रो-रोकर अपनी व्यथा सुनाता
सौ रुपए का नोट सब जगह देखो है इतराता
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
*रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा*
*रामपुर (उत्तर प्रदेश)*
*मोबाइल 99976 15451*

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 45 Views
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