65 वर्ष की काव्यात्रा
65 वर्ष की काव्य यात्रा सब रंगों में लिखते हैं
आठ संकलन हुए प्रकाशित आगे की तैयारी है
गजल के दो संकलन हमारे नए तेवर महज सुकरात का डर
है जय घोष राष्ट्र गौरव भी जिनमे दिखता ओज प्रखर
एक संकलन हास्य व्यंग्य का बिन गुलाल के लाल
सपन तुम्हारे नयन हमारे बतलाता है दिल का हाल
60 वर्ष की काव्य यात्रा नया संकलन आने वाला
कविता की कविताई गायब है मन को बहलाने वाला
1जनवरी 25 में होंगे 75 नया साल आ जाएगा
कविता का जो सफर चल रहा नये पड़ाव दिखाएगा
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डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव