307वीं कविगोष्ठी रपट दिनांक-7-1-2024
म.प्र.#लेखक_संघ की 307वीं #कवि_गोष्ठी ‘देश भक्ति व राष्ट्रप्रेम’ पर केन्द्रित हुई:-
#टीकमगढ़// नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 307वीं ‘कवि गोष्ठी’ राष्ट्रभक्ति व देश प्रेम पर केन्द्रित ‘#आकांक्षा_पब्लिक_स्कूल_टीकमगढ़’ में आयोजित की गयी है।
कवि गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ बुंदेली कवि श्री रामानंद पाठक ’नंद’ (नैगुवाँ) ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में गीतकार श्री शोभाराम दांगी ‘इंदु’ (नदनवारा) जी रहे,
विषिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ कवि श्री यदुकुल नंदन खरे (बल्देवगढ़) एवं उमाशंकर मिश्र रहे।
इस अवसर पर राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ के संपादन के प्रकाशित ‘#आकांक्षा’ पत्रिका के 18वें अंक का विमोचन किया गया।
कवि गोष्ठी का शुभारंभ कौशल किशोर चतुर्वेदी ने सरस्वती बंदना के साथ किया-
तेरी कृपा से ही शारदे माँ, ये सृष्टि ही सज रही है।
वीरेन्द्र चंसौरिया ने सरस्वती बंदना ने यह गीत सुनाया गीत सुनाया-
सागरों के घेरे में नदियों के किनारे तीर्थो का देश मेरा है।
रहेंगे देश में, हम अपने देश में।।
उमाकशंकर मिश्र ने रचना सुनायी-
बात जा साँसी है कैं नईं? तमखाँ आँसी है कैं नईं।।
सबसे नीचट दुश्मन है, चोर खों खाँसी है कि नईं।।
राजीव नामदेव‘राना लिधौरी’ ने शेर पढ़े –
देश रक्षा के लिए खून बहाने की जगह।
लहू हम दंगे-फंसादों में बहा देते है।।
रामगोपाल रैकवार ने रचना पढ़ी-
सूरज चंदा सा लगे, सरिस जयोत्स्ना घाम।
मचा हुआ शाम से, कुहरे का कुहराम।।
मड़ाबरा़ के गोविन्द्र सिंह गिदवाहा ने रचना सनुायी-
ई माटी में हीरा उपजें, और ई माटी में सौनो।
कौनऊ देश हे नइँया,भारत से नौनो।।
अंचल खरया ने कविता पढ़ी-
भारत माता तेरा आँचल हराभरा धानी-धानी।
मीठी-मीठी छम-छम करती तेरी नदियाँ का पानी।।
देवीनगर के भगवत नारायण ‘रामायणी’ ने सुनाया-
हाथिन सो संहारें हाथी,धोरन सौं संहारे घोरे।
प्रभुदयाल श्रीवास्तव ने कविता सुनाई-
धरती भारत देश की सुंदर सुखद महान।
माँ गंगा गोदावरी करती कलकल गान।।
कलमेश सेन ने रचना पढ़ी –
कभउ टमाटर नौन से कुचरो कभउ भूज के खालो।
बब्बा दार में हप्पा खा लो, टाठी भर सटकालो।।
रविन्द्र यादव ने सुनाया-
किसी का क्या ठिकाना है कोई कुछ भी कहे पर तुम।
अगर दिल न कहे तो बात का विश्वास मत करना।।
शकील खान’ ने ग़ज़ल पढ़ी-
सारे ग़म भूल जाओं नये साल में।
जितना हो मुस्कुराओं नये साल में।।
स्वप्निल तिवारी ने सुनाया-
आज नहीं तो कल होगी।
पर हाँ जीत मेरी निश्चित होगी।।
एस.आर. सरल ने सुनाया-
सच्चे वीरसपूत देश के राष्ट्र भक्त दीवाने थे।
आजादी के वीर धुरंदर,दुश्मन से टकराने थे।।
यदुकुल नदंन खरे ने सुनाया-
कौन लिखकर रख गया यह के वाणी।
प्रकृति की इस सृष्टि की ऐसी कहानी।।
विशाल कड़ा ने सुनाया-
आओं मिलकर गाथा गाएँ, जाने-माने राम की।
जहाँ विराजै राम राजा, श्री ओरछा धाम की।।
मीरा खरे ने सुनाया-
न नाम दुनियाँ में न चाहूँ धन और दौलत को।
मुझे वर दे यही माता, नमन करूँ अपने भारत को।।
कविगोष्ठी का संचालन रविन्द्र यादव ने किया
तथा सभी का आभार प्रदर्शन लेखक संघ के अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने किया।
#रपट- #राजीव_नामदेव ‘#राना_लिधौरी’
अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)बुन्देलखण्ड, (भारत)
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