23/164.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/164.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
🌷 कब तोला अकल आही🌷
22 212 22
कब तोला अकल आही ।
बेरा हा निकल जाही ।।
जिनगी के भरोसा का।
ये दुनिया बदल जाही ।।
दीया बार सुनता के।
बैरी ला मसल जाही ।।
चिंहारी इहां राखे ।
पथरा हा टखल जाही।।
देके ले मया खेदू।
चिंता हर चखल जाही ।।
………..✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
29-11-202बुधवार