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9 Aug 2016 · 1 min read

-1-

सन्नाटे
और
चुप्पियों के द्वार पर
मेरी छाती की धड़कनें
बच बच के चलती हैं

भाषायें चुक जाती हैं
स्मृतियों की काँव काँव पे

थकित
प्रेम का स्मारक

उदास ईश्वर
लम्हों की खोज में
असहिष्णुता के ताने बाने में ।।

Language: Hindi
790 Views
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