1.विहग ..,, 2.रोटी …
1.विहग ..
ले अरमान मधुर से मन ..में
…उड़े जा रहे विहग ..गगन में
…….स्मृति घट पर तुम यूँ ….बैठी
…………जैसे कोई अभिलाष नयन में
सुशील सरना
2.रोटी …
हर इंसां का ईमां है रोटी
..हर भूख़ का मकां है रोटी
….है छुपी हुई हर रोटी में माँ
…..है माँ वहीं पर जहां है रोटी
सुशील सरना