Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 May 2024 · 1 min read

🤔🤔🤔समाज 🤔🤔🤔

हम आज ऐसे समाज में रहते हैं,
::जहां खूबसूरती रंग से देखा जाता है।
:: शिक्षा को नम्बरों से देखा जाता है।
::इंसान को सम्मान पैसा देखकर दिया जाता है।
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
जिसके पास जितना पैसा उसे उतना ज्यादा सम्मान मिलता है।
हुनरमंद और प्रतिभाशाली लोगों की कद्र नहीं और वो आज बेरोजगार हैं और जिसके पास पैसा है सिफारिश है उसके पास काम है।
श्लोक मौर्य “उमंग”✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️

3 Likes · 96 Views

You may also like these posts

सत्य की विजय हुई,
सत्य की विजय हुई,
Sonam Puneet Dubey
सब्जियाँ
सब्जियाँ
विजय कुमार नामदेव
"परखना "
Yogendra Chaturwedi
3184.*पूर्णिका*
3184.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हो जाए
हो जाए
सिद्धार्थ गोरखपुरी
परिवर्तन
परिवर्तन
Paras Nath Jha
" अल्फाज "
Dr. Kishan tandon kranti
इंसान ऐसा ही होता है
इंसान ऐसा ही होता है
Mamta Singh Devaa
वजह.तुम हो गये
वजह.तुम हो गये
Sonu sugandh
अगर मैं गलत हूं तो सही कौन है,अगर तू सही है तो गलत कौन है
अगर मैं गलत हूं तो सही कौन है,अगर तू सही है तो गलत कौन है
पूर्वार्थ
मेरी कविता
मेरी कविता
Raju Gajbhiye
पात्रता
पात्रता
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
“मन में घर कर गया हो अगर,
“मन में घर कर गया हो अगर,
Neeraj kumar Soni
** लिख रहे हो कथा **
** लिख रहे हो कथा **
surenderpal vaidya
जिन नयनों में हों दर्द के साये, उसे बदरा सावन के कैसे भाये।
जिन नयनों में हों दर्द के साये, उसे बदरा सावन के कैसे भाये।
Manisha Manjari
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
दर्द
दर्द
ललकार भारद्वाज
राम आ गए
राम आ गए
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
*चिड़िया और साइकिल (बाल कविता)*
*चिड़िया और साइकिल (बाल कविता)*
Ravi Prakash
रंग ही रंगमंच के किरदार होते हैं।
रंग ही रंगमंच के किरदार होते हैं।
Neeraj Agarwal
लोवर टी शर्ट पहिन खेल तारी गोली
लोवर टी शर्ट पहिन खेल तारी गोली
नूरफातिमा खातून नूरी
*दिल दरिया बहुत अमीर है*
*दिल दरिया बहुत अमीर है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
भारत
भारत
Ashwini sharma
आंखों का काजल
आंखों का काजल
Seema gupta,Alwar
My friends.
My friends.
Priya princess panwar
वृद्धाश्रम का अब मिला,
वृद्धाश्रम का अब मिला,
sushil sarna
जी करता है , बाबा बन जाऊं – व्यंग्य
जी करता है , बाबा बन जाऊं – व्यंग्य
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
और हो जाती
और हो जाती
Arvind trivedi
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
ठूंठ
ठूंठ
AWADHESH SINHA
Loading...