??रिश्ते??
??रिश्ते??
किसको खबर मेरे आंशिया की
जो पल-पल बिखरे हैं मोतियों सी।
अपनों को खुश करने में,
सदा दिल दुखाया अपना,
जीवन में खुशियां तो
बन गई एक सपना ।
तुम ही मेरे राजदार हो
तुमने ही मेरी पीड़ा को जाना,
हर गम मेरे बांटे तुमने
हर वेदना को पहचाना।
ऐसे बिछड़े की ,एक जमाना गुजर गया
आंखें भी थक गई, इंतजार करते-करतें
पथिक का पथ जोहते-जोहते ,
ऐ दिल भी पथरा गया!!!
आंखों से कभी आंसू न निकले
वो हर खुशी दी तुमने
मेरे दिल के जज्बात को समझा,
खुदा ,रब अपना तुम्हें माना हमने??
सुषमा सिंह “उर्मि,,क