Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Feb 2022 · 8 min read

?मानवीय प्रत्यपर्ण- ह्यूमन ट्रैफिकिंग?

डॉ अरुण कुमार शास्त्री *एक अबोध बालक *अरुण अतृप्त
? मानवीय प्रत्यपर्ण -हुयू मेन ट्रेफिकींग ?
सत्यघटना पर आधारित (पात्रों स्थान आदि के नाम बदल दिये गए हैं)
बुजरात के सुदूर प्रदेश में आधीनगर के पास एक गांव है जिसका नाम दिनगाचुर है वहां पर एक कृषक (केहने भर को सिर्फ ) अन्यथा एक समृध परिवार में माता पिता, एक लड़का उसकी पत्नी व एक उनका एक बेटा और एक बेटी व एक बड़ा बेटा व उनका परिवार रह्ते हैं

लेकिन तरक्की कह लो या उच्च आकांक्षाओं के चलते या लालच कह लो माता पिता को समझा बुझा कर जो की उस पुत्र के हिस्से आती थी बेच कर अर्थात अपने घर की 16 एकड़ जमीन बेचकर जिसकी कीमत अमेरिकन डॉलर में आधे की करीब 11000 डॉलर बनती है

लोकल व विदेशी सलाहकारों अर्थात पासपोर्ट वीसा एजेंट से सांठ गांठ कर बाकी हार्ड केश लेकर विदेश में स्थापित करने व नौकरी दिलवाने और भेजने की प्रक्रिया करने वीजा आ रेंज करना आदि आदि क्रियात्मक कार्यों से कनाडा व अमेरिका में स्थापित होने का प्रयोजन लेकर छोटे बेटे का परिवार जोकि अच्छे पढ़े लिखे हैं प्रोग्राम बनाया ।

उस गांव से लगभग हर परिवार से कोई न कोई व्यक्ति कनाडा वाह अमेरिका में या अन्य देशों में स्थापित है तो यूं कह लो रीस में या देखा देखी

विदेश में जाने की चाह । वाहा रोजगार पाने की इच्छा खास करके 18 से लेकर 40 वर्ष के और या उससे ऊपर युवाओं में सबसे अधिक देखने को मिलती है

वैसे बुजरात के हर एक कृषक परिवार अपने घर में साधन संपन्न हैं बड़े आराम से रोटी मिल रही है भोजन की वस्तुओं की या आधुनिक साजो सामान की किसी प्रकार की कोई कमी नहीं है

ये परिवार जिसमे में माता-पिता दो बच्चे एक 40 साल का और एक 45 साल का दोनों की शादी हो चुकी है दोनों के बच्चे हो चुके हैं और बच्चे भी काफी बड़े हो चुके हैं लेकिन विदेश का दिखावा चमक दमक रुपया पैसा छोटे-छोटे नौकरी में अच्छे कमाने की पैसे यह सब आकर्षण जो कि उन्हें भारतवर्ष में नहीं मिलता पढ़े-लिखे युवक बड़े आसानी से इस छायावादी लालसा से ग्रसित किसी भी प्रकार के कष्ट उठाने के लिए तैयार रहते हैं

बस एक बार विदेश चले जाए और वह भी इल्लीगल तरीके से येन केन प्रकारेण चाहे उन्हें किसी सामान के साथ नीचे चुप करके जाना पड़े चाहे उन्हें किसी प्रकार के प्राकृतिक कष्ट उठाने पड़े वह सब झेलने को तैयार तो ऐसा ही ये परिवार था

तो इन्की भूमिका भी यही थी । रुपए के बदले में भूमि दे करके और पैसे दे कर के एक पुत्र 40 साल का 35 साल की उसकी पत्नी 11 साल का लड़का और 3 साल की बेटी और इसी आशा में वीजा एजेंट के द्वारा और वहां के मानवीय पलायन humen trefficing के शिकार हुए घर में बहुत खुशी थी बेटा विदेश जा रहा है कनाडा जा रहा है इल्लीगल तरीके से क्या लीगल तरीके से क्या इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता

तो यह कहानी इसी प्रकार के उस परिवार की है यह पृष्ठभूमि बताना बहुत जरूरी थी कि किस प्रकार से मानव उच्चआक्षाओं के चलते नाना प्रकार के कष्ट उठाते हुए विदेशों में चले जाते हैं भारत में रहते हुए सामान्य तौर पर किसी प्रकार की उनको कोई दुविधा नहीं थी कोई कष्ट नहीं था

बुजरात एक संपन्न प्रदेश है वहां औसत हर एक व्यक्ति की आमदनी वार्षिक आय लगभग आठ से 1000000 रुपए तक है

चाहे वह पढ़ा लिखा है या नहीं है वह किसी ना किसी ऐसे व्यवसाय में व्यस्त है कृषि का व्यवसाय हो जाए हाथ करघा का व्यवसाय हो या किसी प्रकार का लेन-देन का व्यवसाय हो इसी प्रकार का मैन्युफैक्चरिंग का व्यवसाय हो किसी भी प्रकार से वह गरीब नहीं है या गरीबी की परिभाषा में नहीं आता है

फिर भी विदेश की ललक उनको खींचती रहती है अधिकतर हमारे भारतवर्ष में गुजरात प्रदेश से और केरला प्रदेश से सबसे ज्यादा व्यक्ति विदेश में रह रहे हैं और गए हुए हैं इस बात को आंकड़ों में भी स्थापित किया जा चुका है तो वीजा पाने के बाद में जब वह परिवार कनाडा के लिए विस्थापित कनाडा के लिए विस्थापित एजेंटों के द्वारा और वीजा एजेंटों के द्वारा भेजा गया हो वहां पर उनको टोरंटो में भेजा गया पहुंचा दिया गया वहीं तक की उनकी कोशिश थी और जो उन्होंने जितने पैसे लिए थे पैसे लेकर अपना उस प्रकार का कार्य कर दिया तो टोरंटो के पास के जो कि एक गांव है वहां पर उनको भेज दिया गया था एजेंट्स का काम खत्म आगे की तुम जानो ।

वह वहां से शहर में आए और शहर से फिर थोड़ा और यूएसए के बॉर्डर के पास वाले एक छोटे गांव में चले गए जिसकी यात्रा करीब 200 से 400 किलोमीटर रही होगी और वहां तक आसानी से पहुंच गए लेकिन वह किसी प्रकार से कनाडा में रुकना नहीं चाहते थे और उनका प्रयास था ताकि हम किसी प्रकार से अमेरिका में चले जाएं तो वहां से जो अमेरिका का बॉर्डर था वह करीब 40 किलोमीटर था

और वह यात्रा उनको पैदल करनी थी वह किसी प्रकार से वाहन का प्रयोग नहीं कर सकते थे जिससे कि वह पहचाने ना जाए और भी तमाम लोग वहां से जाते रहते थे लेकिन उस समय सर्दी का मौसम था बर्फ पड़ी हुई थी और चारों तरफ टेंपरेचर वहां पर अमेरिका और कनाडा बॉर्डर के आसपास -33 चला जाता है ।

उस समय के दौरान टेंपरेचर माइनस 33 तक चला जाता है उस समय के मुताबिक और उन्होंने वह यात्रा पैदल करनी थी लगभग बीच में 40 किलोमीटर का फासला था उन्होंने अपने गर्म वस्त्र आदि और जो भी समझ में आता है उस तरह के कपड़े पहने हुए थे ।

वह परिवार वहां से चलता चलता अमेरिका के बॉर्डर से लगभग 12 किलोमीटर दूर रह गया था रात का समय था लेकिन ये परिवार सर्दी के कारण हाइपोथर्मिया में चला गया और वहां पर उनकी पूरे पूरे परिवार की मृत्यु हो गई । ये बात 1978 साल जनवरी-फरवरी के माह की है ।

कई दिनों बाद जो उन्ही की तरह दूसरे व्यक्ति वहां से गुजर रहे थे और उन्होंने उस परिवार को देखा तब जाकर इनकी सूचना संपूर्ण विश्व को हुई ।

पूरा का पूरा परिवार उच्च आकांक्षाओं के चलते असमय मृत्यु को प्राप्त हुआ या यूं कहिए कि उनकी मृत्यु इसी प्रकार से लिखी हुई थी कितना खर्चा करने के बाद वह वहां जाएंगे और अमेरिका के बॉर्डर तक नहीं पहुंच पाएंगे अमेरिका के बॉर्डर से 12 किलोमीटर पहले उसी स्थान पर उनकी मृत्यु लिखी हुई थी सर्दी से ठिठुर कर माइनस 33 डिग्री टेंपरेचर के दौरान उनकी वहां पर असमय मृत्यु हुई ।

बहुत ही दुखद समाचार है जानकारी है जब यह खबर उनके गांव में पहुंची पूरे गांव के अंदर सन्नाटा छा गया माता पिता के माता पिता के लिए भाई के लिए पूरे परिवार के लिए यह समाचार व जितने भी सगे संबंधी थे सभी सन्नाटे में शोक में हो गए अब इन सब चीजों के ऊपर किसी प्रकार से सरकार का अंकुश नहीं है

कहने को सरकार बहुत तरह की व्यवस्थाएं करती है बार बार बताती रहती है किसी भी प्रकार से अनैतिक कार्य ना करें इललीगल तरीके से किसी प्रकार के कोई बॉर्डर को क्रॉस ना करें खासकर के देशों के अंदर आप अपनी परिस्थिति को देखें लेकिन वह लड़का पढ़ा लिखा था और उसकी पत्नी भी पढ़ी लिखी थी और उच्च कक्षाओं में उन्होंने उनके दिमाग को इतना भ्रमित कर दिया कि उन्होंने इस बात का, कोई आगे पीछे का विचार किए बिना इस तरह की यात्रा की और इस तरह की हरकत थी जो कि भारतीय परिवेश में और विदेशी परिवेश में पूरी तरह से अनैतिक थी किसी भी देश को बिना जरूरी कागजों के बिना आना जाना या उसमें यात्रा करना या उसके बॉर्डर को पार करना यह बिल्कुल अनैतिक है ।

लेकिन एजेंट बगैरह इस बात का दावा करते हैं और उनका सक्सेस रेट करीब 90% तक है मतलब के 100 में से 90 लोग जो है भेजे गए उनके द्वारा बड़े आराम से वहां पर गुजर-बसर कर रहे हैं और बाद में उन्होंने उनके जरूरी कागजात बन गए हैं अभी यह केस सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी के अंतर्गत इसकी खोज भी चल रही है वीजा एजेंट और भेजने वाले एजेंट के ऊपर मानवीय प्रत्यर्पण ह्यूमन ट्रैफिकिंग के सेक्शन धाराएं लगा कर के जानकारियां ली जा रही है उनकी इंक्वायरी हो रही है पकड़ धकड़ चल रही है और सभी प्रकार के रोकथाम के नियम आदि लागू किए जा रहे हैं लेकिन यह आज से नहीं हो रहा है यह तो सालों साल से चला आ रहा है सरकार सोई हुई है न जागी हुई है और ना सरकार का किसी प्रकार का बस चलता है इस तरह के मुद्दों पर ।

और क्या होगा कुछ समय इंक्वायरी करने के बाद में फिर से सरकार चुप चाप बैठ जाती है और एजेंट फिर खड़े हो जाते हैं और वह अपनी कार्रवाई या फिर उसी तरीके से कार्य करने लगते हैं

अर्थात demand ऐण्ड सप्लाई

फिर कोई परिवार इसी तरीके से जाता है जो सफल हो जाते हैं वह अपने आप को खुश किस्मत मानते हैं और वहां से जो धन भेजते हैं वह अपने गांव के अंदर खास करके देखना इसी गांव के जो की गुजरात का बहुत संपन्न गांव है उनके द्वारा भेजे गए धन से वहां मंदिर बनाए जाते हैं कपड़ा उद्योग को कह लो प्रायोगिक संस्थाए कह लो स्कूल कॉलेज उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलती है स्कूल बनाए जाते हैं और अन्य तरह-तरह के आधुनिक कार्य किए जाते हैं धार्मिक कार्य किए जाते हैं मगर इस प्रकार की घटना घटना क्या दुर्घटना होने से पूरे के पूरे गांव को स्तब्ध कर देती है ।। फिर थोडा रुक कर सब भूल जाते हैं ।

सभी ये सोचने पर मजबूर है किम कर्तव्यम किम ना कर्तव्यम ।

आशा करता हूं इस प्रकार की मेरी इस कहानी से आपको जागरूकता मिली होगी विषय जानकारी भी नंबर दो सरकारी तंत्र का पूरी तरह से वहां पर का नाम चारे की असमर्थता देखने को मिली होगी और विशेषकर कर परिवारों के अंदर किस प्रकार की उच्च आकांक्षा है और किस प्रकार की सोच बैठी हुई है कि विदेश जाकर ही हम अपने परिवार का भरण पोषण कर पाएंगे ऐसा नहीं है भरण पोषण तो दो रोटी कम आकर भी हो जाता है मजदूरी करके भी हो जाता है लेकिन ज्यादा से ज्यादा

पैसा कमाना ऐश्वर्य की जिंदगी जीना लग्जरियस लाइफ बड़े-बड़े शहरों में रहने का ठप्पा लग ना कि मेरा बेटा वहां रहता है मेरा बेटा वहां रहता है लेकिन इस गंभीर सत्य से कोई भी मना नहीं कर सकता आज इस हादसे ने संपूर्ण गांव को और पूरे पूरे गुजरात को हिला कर रख दिया है ।।

बुजरात सरकार पूरी तरह से और केंद्रीय अन्वेषण एजेंसियां पूरी तरह से सजग होकर इन चीजों की पकड़ धकड़ कर रही है लेकिन यह पलायन यह ह्यूमन ट्रैफिकिंग आखिर कब रुकेगी इस बात का अंदाजा ना मुझे है ना प्रांतीय सरकार को है ना उस परिवार को है जिसने अपने बच्चे को खो दिया और ना केंद्रीय सरकार को ओम हरि ओम

Xxxxxxxxxxxcccc

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 240 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR ARUN KUMAR SHASTRI
View all
You may also like:
अग्निपरीक्षा
अग्निपरीक्षा
Shekhar Chandra Mitra
यह दुनिया है जनाब
यह दुनिया है जनाब
Naushaba Suriya
I am always in search of the
I am always in search of the "why",
Manisha Manjari
प्रेम अपाहिज ठगा ठगा सा, कली भरोसे की कुम्हलाईं।
प्रेम अपाहिज ठगा ठगा सा, कली भरोसे की कुम्हलाईं।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
చివరికి మిగిలింది శూన్యమే
చివరికి మిగిలింది శూన్యమే
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
समय के साथ ही हम है
समय के साथ ही हम है
Neeraj Agarwal
बापू
बापू
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
हम भी तो चाहते हैं, तुम्हें देखना खुश
हम भी तो चाहते हैं, तुम्हें देखना खुश
gurudeenverma198
बचपन की यादें
बचपन की यादें
प्रीतम श्रावस्तवी
विषाद
विषाद
Saraswati Bajpai
मेरी मलम की माँग
मेरी मलम की माँग
Anil chobisa
जहाँ जिंदगी को सुकून मिले
जहाँ जिंदगी को सुकून मिले
Ranjeet kumar patre
💐अज्ञात के प्रति-53💐
💐अज्ञात के प्रति-53💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
रक्षा बंधन
रक्षा बंधन
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
■ आज नहीं अभी 😊😊
■ आज नहीं अभी 😊😊
*Author प्रणय प्रभात*
वर्तमान लोकतंत्र
वर्तमान लोकतंत्र
Shyam Sundar Subramanian
आया फागुन (कुंडलिया)
आया फागुन (कुंडलिया)
Ravi Prakash
मत बनो उल्लू
मत बनो उल्लू
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
जीवन दर्शन
जीवन दर्शन
Prakash Chandra
3060.*पूर्णिका*
3060.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ग्वालियर, ग्वालियर, तू कला का शहर,तेरी भव्यता का कोई सानी नह
ग्वालियर, ग्वालियर, तू कला का शहर,तेरी भव्यता का कोई सानी नह
पूर्वार्थ
पुस्तक
पुस्तक
Vedha Singh
विदंबना
विदंबना
Bodhisatva kastooriya
यूं ही कुछ लिख दिया था।
यूं ही कुछ लिख दिया था।
Taj Mohammad
नारी तेरी महिमा न्यारी। लेखक राठौड़ श्रावण उटनुर आदिलाबाद
नारी तेरी महिमा न्यारी। लेखक राठौड़ श्रावण उटनुर आदिलाबाद
राठौड़ श्रावण लेखक, प्रध्यापक
हमारे सोचने से
हमारे सोचने से
Dr fauzia Naseem shad
मशीन कलाकार
मशीन कलाकार
Harish Chandra Pande
कमियों पर
कमियों पर
REVA BANDHEY
आज का यथार्थ~
आज का यथार्थ~
दिनेश एल० "जैहिंद"
Loading...