💐प्रेम की राह पर-53💐
संध्या तो ऐसे ही ढलते जाएगी और दिन भी।परन्तु तुम्हारी मूर्खता के लक्षण कभी न ढलेंगे।तुम ऐसे ही पुनः पुनः अपने लक्षणों को प्रदर्शित करतीं रहना।तुम अमावस के अंधकार का प्रतीक हो।हे जमुनिया!तुम ऐसे ही दाँतों को किट कीटाती रहना।मूर्ख तुम्हारा चेहरा कुपोषित है।ऐसे ही कुपोषित बना रहेगा।तुम पिचका हुआ लोटा हो।जिसे कबाड़े में फेंक दिया जाता है।तुम्हारी मूर्खता पूर्ण विद्वता किसी के भी योग्य नहीं है।मरखनी गाय जैसा तुम्हारा व्यवहार और मरखने बैल जैसा तुम्हारा क्षणिक बल है।ऐसे ही टिर टिराती रहना।तुम्हारा दम्भ निश्चिन्त रहो ऐसे नष्ट जो जाएगा जैसे फंगस लग जाने पर सिर के बाल नष्ट हो जातें हैं और आदमी बन जाता है खल्वाट।तुम ऐसे ही टुकुर टुकुर मेरी कमियों को देखती रहना।तुम्हें कोई मिलेगी नहीं,क्योंकि तुम्हारे अन्दर ही बहुत कमियाँ हैं।तुम ऐसे ही अपने फ़र्जी शोध की विधियाँ प्रस्तुत करती रहना।बेचारा दूसरा कोई छात्र पढ़ेगा तो भूलभुलैया में फँसकर तुम्हें ताज़ा उसके द्वारा बनाई हुई गालियों का सेवन कराएगा।शब्दश: कह रहा हूँ मेरा तो ईश्वरीय प्रेम प्रगाढ़ है।तो हे रेबड़ी!तुम्हारे प्रति दिखाया गया प्रेम तो एक मात्र संसार का प्रतीक है तो वह संसार की तरह तुमने झूठ सिद्ध कर दिया।हे जंगली बिल्ली!तुम ऐसे ही अपने निजी स्वार्थ के कारण जेबकतरे का काम शुरू कर दो।ख़ूब फलेगा भी और फूलेगा भी।तुम निरंतर अपने अवगुणों के मोती की माला पिरोती रहना जब कभी पिरो ही नहीं जाएगी।चूँकि तुम्हारे अवगुण स्थायी हैं और हमेशा बढ़ने वाले हैं ऐसे बढ़ाते रहना।जाओ जंगली लोमड़ी तुम इंद्रप्रस्थ में रहती हो।यमुना में कूंद जाओ।तैरना जानती हो तो निकल आओगी।हे उदण्ड बालिके!तुम फालतू सन्देश भेजने में सिद्धहस्त हो ऐसे ही अपनी निपुणता प्रदर्शित करती रहना और धोखा देती रहना ।हे चतुर लोमड़ी!तुम निश्चित ही अपनी चतुराई में फँस जाओगी।फिर चिल्लाओगी।अम्मा अम्मा।वहाँ प्रकट हों जाएंगे तुम्हारे बाबा।वह तुम्हारे कान के नीचे बड़ी ही सावधानी से अपने हाथ का प्रहार देंगे।तो तुम्हारे बहरे होने का अवसर अधिक रहेगा।तो तुम्हारे कान में होती रहेगी कूँ कूँ।जैसे ताज़ा पिल्ले करते हैं।हे घण्टू!खाना बनाना तो तुमसे आता नहीं है ऐसे ही मैगी खा खा के तुम्हारी बुद्धि भी घटिया हो गई है।हे लोलो!कहीं तुम जाओ और अपनी बुद्धि के दरवाजे खोलो।बन्द हो चुकी तुम्हारी बुद्धि सटोरियों की तरह दिन भर क्रिप्टो क्रिप्टो करती रहती है।जो देती रहती है घरवालों को धोखा।तो हे पूँ पूँ ऐसे ही देते रहना धोखा।तुम जंग खाई हुई घिरनी हो तो घिरनियों का चलन कुओं के बन्द होने के कारण बन्द हो गया है।ऐसे ही तुम्हारे विचारों और तुम्हारे शरीर में जंग लग चुकी है।तुम हो चुकी हो फालतू ।ऐसे ही जंग लगाती रहना।चिंता न करो बुढ़ापा तो तुम्हें भी घेरेगा।बाज़ार में तुम्हारे सहारे के लिए लकड़ी का बैंत प्रतीक्षारत है।तुम ऐसे ही अपने तराने स्वयं गाना और स्वयं ही सुनना।फटी आवाज़ में।मुझे तो ऐसा लगता है कि तुम्हारा ईश्वर में जरा सा भी विश्वास नहीं है।तभी तो अपनी ही बोली बोलकर नास्तिक होना सिद्ध करती रहना।तुम ऐसे स्थान पर पहुँच जाना जहाँ से तुम्हें इस शब्दशः प्रेम का विकल्प न मिलेगा।तुम मगरमच्छी आसूँ का यदा कदा अनावरण अपने फ़िजूल बुद्धि मस्तिष्क से करते रहना।तुम्हारा एतबार मैं तो अब किसी सूरत पर कर न सकूँगा।तुम अपनी ही बातों को कहना जानती हो।जो कि इतनी असात्विक हैं कि दूसरा तो यही समझेगा कि हे यह रूपा!तो वास्तविक मूर्ख है।तुम ऐसे ही अपना राग भैरव ब्रह्ममुहूर्त में गाती रहना।जिसका क्या अभिप्राय सिद्ध करोगी।तुम अपना समय नष्ट कर रही हो।कोई मेरी तरह ही तुम्हें भी निश्चित ही महामूर्ख बताएगा।क्योंकि तुम सदैव ऐसे ही अपने बहुमूल्य समय को मिट्टी के ढ़ेले की तरह नष्ट कर रही हो।तुम जहरीली लड़की हो जो कभी किसी को समय प्रबन्धन का सुष्ठु परामर्श भी नहीं कर सकती हो।इधर से उधर मुँह फाड़कर घूमने में अपना बहुमूल्य समय नष्ट कर दिया।तो हे फुस फुस!मेरा तो ईश्वरीय प्रेम एक ही जगह बँधा हुआ है।तो तुम ईश्वरीय प्रेम को जानती नहीं हो।ऐसे ही अपने कमरे में अपना बेसुरा बिगुल बजाती रहना।अपनी मूर्खता का।क्यों कि तुम प्रमाणित मूर्ख जो हो।
©अभिषेक पाराशरः