卐== समर्पण ==卐
निखरी , खिली- खिली धूप ,
स्वच्छ आकाश में
कलरव करती – चहचहातीं
चिड़ियों का मधुर गीत , संगीत ,
खेतों में खिले दूर – दूर तक
लाल- पीले सुकोमल फूलों की पंखुड़ियाँ ,
मंडराती रंग- बिरंगी तितलियाँ ,
धरती पर बिछी घासों की मखमलियां ,
प्रफुल्लित करती हैं
जीवन भर के कसैले मन को ।
लेकिन !
चलना पड़ता है-
शीशे जैसी चिकनी- चमकती
सड़कों से उतर कर
धूल- धूसरित पगडंडियों ,
ऊबड़- खाबड़ मेड़ों पर ।
और
प्यास बुझाने के लिए
दोनों हाथों को चुल्लू बनाकर
पसारना पड़ता है-
निःस्वार्थ – निर्विकार ‘ गागर ‘ के सामने ।