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26 Aug 2022 · 1 min read

✍️सूरज मुट्ठी में जखड़कर देखो✍️

✍️सूरज मुट्ठी में जखड़कर देखो✍️
……………………………………………………………………//
एक पल के लिए सूरज मुट्ठी में जखड़कर देखो
कोई समय ठहरा मिले तो उसे पकड़कर देखो

मुश्किल नहीं है घने अंधेरो के ये हालात बदलना
अपने भीतर उम्मीद का एक दीप जलाकर देखो

मंझिल को पाने की ललक में कौन रुका है कभी
यकीं ना हो तो अपने हमसफ़र से पिछड़कर देखो

नए मुसाफ़िर के लिए अंजाना रहता है हर सफर
जिंदगी का हर पहलु इम्तिहाँ है बस चलकर देखो

‘अशांत’अपने हिस्सो के ग़मो से कैसा शिकवा गिला
जैसी भी हो मिली है ये जिंदगी उसे आजमाकर देखो
……………………………………………………………………//
✍️©’अशांत’ शेखर✍️
26/08/2022

7 Likes · 14 Comments · 559 Views
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