✍️मैं कैसे आज़ाद हूँ (??)✍️
✍️मैं कैसे आज़ाद हूँ (??)✍️
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मैं उनके खिलाफ
लड़ नहीं सकता,
मेरे हर औजार के
परवाने पर उनके
दस्तख़त है ।
मैं तुम्हारे हक़ में
लिख नहीं सकता,
मेरे कलम के सारे
अधिकार पास उनके
सुरक्षित है।
मैं सच के लिए
तुम्हारा हितैषी
बन नहीं सकता
मेरे घरों में उनके
योजनाओ की बहती
धारा मुफ्त है ।
मैं हर झूठ के लिए
उनके साथ शामिल हूँ।
क्यों की…
मेरे पैरों में सारे
सरकारी अनुदान
की जंजीरे सख़्त है।
मैं समझ के भी
समझ नही पाता
फिर भी…
मैं कैसे आझाद हूँ (??)
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✍️”अशांत”शेखर✍️
17/06/2022