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21 Jun 2022 · 1 min read

✍️मनस्ताप✍️

✍️मनस्ताप✍️
……………………………………..//
दुःखा सवेच
माझी सदा साठगाठ
सूखा सवे हल्ली
नाहीच कुठे भेटगाठ

देहाला भिड़ला
हा विखारी वारा
डोळ्यात ओथंबल्या
अश्रुंच्या विरक्त धारा

नसातच आटले
सळसळणारे रुधिर
कणभर आठवणीला
काळीज अधीर…

मोहाच्या पदराला
हीरे पाचूचा काठ
साज श्रृंगारताच
बसतो जिवाला आट
……………………………………….//
✍️”अशांत”शेखर✍️
21/06/2022

1 Like · 317 Views
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