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5 Aug 2022 · 1 min read

✍️बर्दाश्त की हद✍️

✍️बर्दाश्त की हद✍️
……………………………….…//
बर्दाश्त की हद से कुछ
ज्यादा ही जिस्म को दर्द मिला

सारे ज़ख्म रूह में समा गए
उन्हें भी एक जिगरा मर्द मिला
……………………………………//
©✍️’अशांत’शेखर✍️
05/08/2022

2 Likes · 4 Comments · 221 Views
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