✍️दिल ही बेईमान था✍️
✍️दिल ही बेईमान था✍️
………………………………………………….//
यही एक तन्हाई दिल के करीब थी ।
कुछ यादें भी थी जो हमसे रुठ गयी ।।
वो सच का इक़रार करे,फ़रियाद मांगी ।
शायद गहरा इश्क़ था,छुपाके झूठ गयी ।।
मिसाल है उसकी मोहब्बत दुनिया के लिए..।
अच्छा है बेवफाई की निशानी मिट गयी ।।
रिश्तों की नींव कितनी कमजोर होती है।
एक कांटा चुभा,कच्चे धागे सी तूट गयी ।।
क्या करे हम,अपना दिल ही बेईमान था।
झूठी कसमें खाने की आदत भी छूट गयी ।।
वो रुख़्सत में कह गयी अभी जिना बाकी है ।
दिल को लगा के अब इश्क़ की झंझट गयी ।।
……………………………………………………….//
✍️”अशांत”शेखर✍️
13/06/2022