✍️तुम पुकार लो..!✍️
✍️तुम पुकार लो..!✍️
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ये लब कुछ थिरक जाते थे तेरे साज़ में
पर ख़ामोशी से दफ़न रखा इक राज में
वक़्त नहीं रुकता है किसीं भी मंझिल पे
कल जिंदगी ना रहे ,मस्त जी लो आज में
ये दीवार ईंट पत्थर से नहीं प्यार से जुड़ी है
शाहजहां सा इश्क़ मेरा रहता है इस ताज में
तेरी मोहब्बत को चुराने की कैसी जुर्रत की
अब तो मेरा भी नाम जुड़ गया है अख्ज़ में
सुर्ख़ पड़े चेहरे मुक़म्मल जिंदगी की राह में
तुम पुकार लो खड़े रहेंगे एक ही आवाज़ में
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✍️”अशांत”शेखर✍️
29/06/2022