✍️बगावत थी उसकी✍️
✍️बगावत थी उसकी✍️
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उसके टूटने पर पता चला के,
काँच की फितरत थी उसकी ।
दिल भी तन्हा छोटा था उसका
और छोटी सी हसरत थी उसकी ।
हम क्या देते उसके आँखों को…
ख्वाब जीने की कसरत थी उसकी ।।
अगर मांग लेता दोनों हाथ फैलाके
दे देता वो,जमाल क़ुदरत थी उसकी ।।
इरादे नेकसाफ़ हो,तो मुक्कमल होते
दिल में तर्स भरी हरकत थी उसकी ।।
जायज़ तसव्वुर कमाल कर जाते है
जेहेन की आग वो बगावत थी उसकी ।।
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✍️”अशांत”शेखर✍️
13/06/2022