✍️किस्मत ही बदल गयी✍️
✍️किस्मत ही बदल गयी✍️
………………………………………………………………//
वक़्त के तकाज़े में उनकी तहज़ीब बदल गयी
छोटी सी ख्वाईश में उनकी तक़रीर बदल गयी
सिलसिले तो चलते ही रहे मिलने बिछड़ने के
बहोत क़रीब होकर भी वो दूरियों में बदल गयी
कहाँ सफ़र शुरु किया था मुझे कुछ याद नहीं है
जहाँ पहुँचाना था अब वो मंझिल ही बदल गयी
उसके आसमान में तो बादल उमड़कर फूटते है
मेरे चमन की ये बारिश भी खिज़ा में बदल गयी
क़यामत था इश्क़ उसका हम तो फ़ना हो जाते
मंजूर था हमें,कम्बख्त ये किस्मत ही बदल गयी
………………………………………………………………//
✍️”अशांत”शेखर✍️
25/06/2022