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4 Oct 2022 · 1 min read

✍️इंसाफ मोहब्बत का ✍️

हिसाब बराबर करने में नहीं होती कोई देरी है,
क्या गज़ब का इंसाफ है मोहब्बत का,
कल तक वो इंतज़ार करता था,
आज से इंतज़ार की बारी मेरी है।

✍️वैष्णवी गुप्ता
कौशांबी

12 Likes · 11 Comments · 219 Views
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