देश का बेटा रतन टाटा तुम सा अपना फर्ज यहां कौन निभाता।
उसे खो दिया जाने किसी के बाद
सच्ची मोहब्बत भी यूं मुस्कुरा उठी,
*पहले वाले मन में हैँ ख़्यालात नहीं*
हम लहू आशिकी की नज़र कर देंगे
Shankarlal Dwivedi passionately recites his poetry, with distinguished literary icons like Som Thakur and others gracing the stage in support
Shankar lal Dwivedi (1941-81)
Ultimately the end makes the endless world ....endless till
23/134.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
कितनी शिद्दत से देखा होगा मेरी नज़रों ने
*शिक्षा-संस्थाओं में शिक्षणेतर कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूम