■ व्यंग्य / जंगल-बुक
#फारेस्ट_बुक_FB
■ वाल किसी की, माल किसी का
【प्रणय प्रभात】
इंसानी दुनिया की तरह जंगल में भी सोशल मीडिया की धूम बनी हुई है। आज भालू ने अपनी वाल पर दर्ज़न भर फोटो एक साथ पेले। साथ ही लिखा- “आज परमभीरु अनुज गीदड़ के बेटे के फलदान के बाद महाधूर्त आदरणीय लोमड़ी बहिन की बिटिया की सालगिरह में शामिल हुआ। अभी फर्राटा किंग और बड़े भाई चीते की चौथी शादी की पांचवीं एनीवर्सरी में लुत्फ़ ले रहा हूँ। कुछ देर बाद अपनी बिरादरी के भंडारे में जाऊंगा। पूरी तरह निजी इस पोस्ट को पट्ठे ने जंगल के तमाम सारे शाकाहारी जानवरों को भी टेगासुर बन कर चेप दिया। जिनका इनमें से किसी आयोजन या आयोजक से कहीं कोई लेना-देना नहीं था। अब हिरण, बन्दर, खरगोश, नीलगाय, गिलहरी आदि की इतनी हिम्मत कहाँ कि आपत्ति जता कर भालू से पंगा लें। इसी तरह एक पोस्ट मदमस्त हथिनी ने ढाई दर्ज़न एडिटेड तस्वीरों के साथ सौंदर्य के एडिक्टेड शेर, चीता, भेड़िया, लकड़बग्घा, तेंदुआ जैसे तमाम जानवरों को टेग कर दी। जिसमें लिखा था- “आज पास के गाँव में अपने शोणा बाबू के साथ गन्ने के खेत की सैर की। जम कर गन्ने खाए। ख़ूब फसल उजाड़ने का खेल खेला। इसके बाद तीन झोंपड़े तबाह कर बड़े तालाब में कीच स्नान किया। सूँड के पावरफुल शावर में नहाने और नहलाने का मज़ा ही कुछ और है। अब अपने मार्गदर्शक व बड़े भाई समान लंगूर के पोते की सगाई में जाना है। तमाम माँसाहारी अपनी वाल पर पड़ोसी गई इस पोस्ट से खिन्न हैं। पर किससे कहें और क्या कहें बेचारे? यही खटकर्म वो ख़ुद भी तो बेनागा करते आ रहे हैं। वो भी पूरी दमखम के साथ शान से। चापलूसी में माहिर ऊदबिलाव ने रोज़ की तरह डेढ़ दर्जन जंतुओं के फोटो का कोलाज़ बनाया। बड़े-बड़े विशेषणों के साथ सभी को हैप्पी वाले बड्डे की मुबारकबाद लिखी। साथ ही इस पोस्ट को तमाम सारे परिंदों को चस्पा (टैग) कर दिया। लाइक्स और कमेंट्स की बाढ़ सी आई हुई है। मछली, कछुए और घड़ियाल भी उन जानवरों को बधाई की इमोजी और स्टीकर्स के जरिए बधाई दे रहे हैं, जिन्हें उन्होंने कभी देखा तक नहीं है। अजगर ने अस्पताल के बेड से अपनी सेल्फ़ी पोस्ट करते हुए लिखा है- “दोस्तों! दुआ करना मेरे लिए भी। पूरा चीतल निगलने से अजीर्ण हो गया है। साँस तक ले पाना दूभर हो रहा है।” पोस्ट चार दर्ज़न से ज़्यादा घास-फूस और कंद-मूल खाने वाले पशुओं की वाल पर नज़र आ रही है। जिस पर अनेक जीव-जंतु जीवन-रक्षा के नुस्खे सुझा रहे हैं। मेंढक ने तो शीर्षासन व उत्तान-पादासन की सलाह तक दे डाली है। जो अजगर को नागवार गुज़र रही है। पक्षियों और कीट-पतंगों द्वारा अजगर की सेहत में सुधार की प्रार्थना का दौर ज़ोर-शोर से जारी है। जँगली सुअर ने अपनी जीवन संगिनी के साथ हनीमून ट्रिप की “ए ग्रेड” वीडियो पोस्ट की है। जिसे एक सैकड़ा से ज़्यादा जीव शेयर कर मुफ़्त में आनंद बाँट रहे हैं। सैकड़ों लाइक्स और कमेंट्स का सैलाब सा आया हुआ है। हर्र, फिटकरी के बिना चोखा रंग आने की अनुभूति सभी को हो रही है। विदुर नेवला और परित्यक्ता नीलगाय वीडियो को कई ग्रुप्स में डाल चुके हैं।
इस तरह की घनघोर स्पर्द्धा (बावलाई) का नशा फ़िलहाल सब पर हावी है। कोई पूछे तो रेडीमेड जवाब तैयार है। कह देते हैं कि- “जब इंसान जानवर हुआ जा रहा है, तो हमारे इंसान होने में क्या हर्ज है?” बेचारा पूछने वाला भी फौरन समझ जाता है कि इतनी समझ सबके पास होती तो जंगल को जंगल कौन कहता? सारा वन उपवन न हो जाता। बहरहाल, नक़ल का खेल बिना अक़ल धड़ल्ले से जारी है। जल्दी ही तमाम तरह के छोटे-बड़े चुनाव जो सिर पर हैं। ऐसे में फ्री की पब्लिसिटी का इससे अच्छा फंडा और हो भी क्या सकता है। कुल मिलाकर वैचारिक, शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक व चारित्रिक महाक्रांति शबाब पर है। जिसके आगे और उछाल पर आने के भरपूर आसार हैं।
इस व्यंग्य कथा के सभी पात्र पूरी तरह काल्पनिक हैं। उनका किसी जीवित, मृत या मृतप्राय जीवधारी से दूर-दूर तक कोई कनेक्शन नहीं है। लिहाजा एक्शन, रिएक्शन पर ऊर्जा नष्ट न करें। क्योंकि लिखने वाले बन्दे के पास भागने का कोई रास्ता नहीं है और किसी मठाधीश से कोई वास्ता नहीं है। सभी जीवात्माओं को प्रणाम।।