■ मुक्तक / दुर्भाग्यपूर्ण दृश्य
■ नए युग मे….
【प्रणय प्रभात】
नेह, त्याग, ममता को आख़िर बदले में संत्रास मिला।
उर्मिल को निज तप के बदले खंडित सा विश्वास मिला।
कलयुग में सेवा के बदले मेवा दूर छिनी रोटी।
राम धाम को चले गए तो लक्ष्मण को वनवास मिला।।