■ त्वरित टिप्पणी / बातों बातों में….
#प्रसंगवश
■ यह अच्छी बात नहीं बिग-बी!
【प्रणय प्रभात】
एक नियमित दर्शक तथा स्वाभाविक अन्वेषक के तौर पर मुझे हमेशा से एक अंदेशा रहा, कि केबीसी (कौन बनेगा करोड़पति) में कभी न कभी, किसी न किसी के साथ भेदभाव या पक्षपात ज़रूर किया जाता है। वो भी देश के सर्वाधिक लोकप्रिय व चर्चित टीव्ही शो के होस्ट अमिताभ बच्चन के द्वारा, जिनकी छवि सामान्यतः एक भद्र-पुरुष व सदी के महानायक की है।
प्रसंग में है बीते 13 दिसम्बर (मंगलवार) की रात प्रसारित एपीसोड, जिसमे सुरभि त्रिपाठी नामक बालिका हॉट-सीट पर थी। कक्षा 04 की छात्रा व 09 वर्ष की सुरभि अपनी उम्र से कहीं आगे निकल कर शानदार प्रतिभा का परिचय दे रही थी। चारों लाइफ-लाइनों का उपयोग कर 12 लाख 50 हज़ार पॉइंट्स (रुपए) के लिए स्क्रीन पर आए बारहवें सवाल के बाद जो कुछ भी हुआ, वो बेहद अनुचित सा प्रतीत हुआ। जिसने मुझे व श्रीमती जी को एक हद तक व्यथित करने का काम किया और इस तरह के शोज़ में पक्षपात की आशंका यक़ीन में बदलती प्रतीत हुई। संभव है यह अनुभूति अन्य दर्शकों को भी हमारी तरह हुई हो।
सवाल आज़ादी की लड़ाई के दौरान “बाल चरखा संघ” और “वानर सेना'” की संस्थापक के नाम को लेकर था। चार विकल्पों में विजयलक्ष्मी पंडित, अरुणा आसिफ़ अली, कस्तूरबा गाँधी और इंदिरा गाँधी के नाम शामिल थे। वाकपटु सुरभि ने पूरी तार्किकता के साथ उत्तर देने की प्रक्रिया शुरू की। उसने चारों हस्तियों की उम्र के आधार पर सही दिशा में बढ़ने का स्पष्ट संकेत दिया। आरंभिक तीनों नामों को तर्क के साथ खारिज़ करने वाली सुरभि का ध्यान इंदिरा जी के नाम पर केंद्रित था। निस्संदेह वो अगले क्षण अपना जवाव लॉक कराने वाली थी। तभी वो हुआ, जो बिल्कुल अनापेक्षित व अप्रत्याशित था। सुरभि को अपनी बात पूरी करने का मौका देने के बजाय बच्चन साहब ने उसे भ्रमित और विचलित करने का काम अपनी प्रेरक छवि के विपरीत किया। उन्होंने एक नहीं बल्कि दो बार उसे ग़लत जवाब के नतीजे से आगाह कराने वाले अंदाज़ में अवगत कराना शुरू कर दिया। इस दोहरी चेतावनी के बाद दिशाभ्रमित बालिका ने खेल छोड़ने की मंशा प्रकट कर दी। जिसे बिग-बी ने यह जानते हुए भी तत्काल स्वीकार कर लिया कि वो सवाल के सही जवाब तक पहुँच गई थी।
सामान्यतः प्रतिभागी से वे क्विट करने की घोषणा के बाद उसके अंतिम निर्णय की पुष्टि करते हैं। यह प्रक्रिया भी सुरभि के मामले में नहीं अपनाई गई। इस हड़बड़ी और गड़बड़ी के पीछे कोई वजह थी या नहीं, कोई दावा नहीं किया जा सकता। तथापि ग़लत समय पर अनावश्यक हस्तक्षेप ने चौंकाने व हतप्रभ करने का काम ज़रूर किया। यह कोई पहला मामला नहीं है। इस तरह के भ्रमित या मदद करने के प्रयास तमाम बार कई प्रतिभागियों के साथ किए जाते रहे हैं। हो सकता है कि एक एंकर व होस्ट के तौर पर यह बच्चन साहब की भूमिका का एक हिस्सा हो।
बावजूद इसके एक मासूम बालिका की राह का रोड़ा बने इस प्रयास को किसी भी नज़रिए से वाजिब नहीं ठहराया जा सकता। ऐसे में मन मसोस कर बस इतना ही कहा जा सकता है कि- ”बिग-बी! यह अच्छी बात नहीं। बस…!!