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21 Apr 2023 · 1 min read

■ जागो या फिर भागो…!!

■ आह्वान तंत्र का
【प्रणय प्रभात】
” फिर लहू बहा है सिंहों का
जन-जन को फ़िक़्र चमन की है।
निंदा के शंख नहीं सुनना
ना करनी बात अमन की है।।
अब बड़बोलापन बन्द करो
खुल कर के कड़ा प्रहार करो।
कुछ दिन सत्ता की भूख त्याग
बस हमलों का प्रतिकार करो।।
दो फेंक दूर झुनझुने कहीं
ना लोरी गा कर बहलाओ।
इससे पहले कुरुक्षेत्र बने
ये देश दुष्ट-दल दहलाओ।।
अब प्रासंगिक है रौद्र रूप।
समझौतों की भाषा त्यागो।।
या शत्रुविहीन धरा कर दो।
या छोड़ के सिंहासन भागी।।
【प्रणय प्रभात】

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