■ कन्फेशन
#लघुकथा
■ ओर ब्रेकअप तय…!
【प्रणय प्रभात】
“क़सम से यार! तुम भी बड़ी वो हो।”
रजत ने फिर से कहा तो पारुल फूल कर कुप्पा हो गई। उसने बड़ी अदा के साथ इतराते हुए पूछा-
“क्या हूँ जी मैं…? बताओ तो!!” यह बात वेलेंटाइन महोत्सव के अंतर्गत 19 फ़रवरी यानि “कन्फेशन-डे” की है।
रजत ने पारुल की ओर देख कर कहा-
“वही। बौड़म नम्बर वन। और क्या…?”
पारुल की ईगो और एटीट्यूड की बुलन्द इमारतें एक झटके में धराशायी हो गईं। वो उठी और अपनी स्कूटी लेकर चलती बनी। तब लगा कि 20 फ़रवरी को मिसिंग-डे” के बाद 21 को “ब्रेकअप” पक्का है। बीते 13 दिनों से नखरों के पापड़ बेल रहा रजत फ़िलहाल राहत में है। नक़ली मुहब्बत का असली अंजाम पारुल की तरह उसे भी पता जो चल गया था। बाक़ी रस्में तो पहले दिन से पूरी हो ही रही थीं। अब बचा भी क्या था दोनों के बीच करने को…?
■प्रणय प्रभात■
श्योपुर (मध्यप्रदेश)
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