■ एक ही खटका।।
■ मन्तव्य-
मन में चोर बैठा हो तो गिरता हुआ सूखा पत्ता भी अपनी खड़क से डरा देता है। यही हाल मुखौटों के पीछे जीने वालों का है, जो अपनी असलियत उजागर होने के भय से विचलित रहते हैं।
#प्रणय_प्रभात
■ मन्तव्य-
मन में चोर बैठा हो तो गिरता हुआ सूखा पत्ता भी अपनी खड़क से डरा देता है। यही हाल मुखौटों के पीछे जीने वालों का है, जो अपनी असलियत उजागर होने के भय से विचलित रहते हैं।
#प्रणय_प्रभात